कौन है ‘घोर अपराधी, जब तबलीगी जमात ने 17 गाड़ियां मांगी थी तो पुलिस और प्रशासन ने क्यों नहीं सुनी बात

कौन है ‘घोर अपराधी, जब तबलीगी जमात ने 17 गाड़ियां मांगी थी तो पुलिस और प्रशासन ने क्यों नहीं सुनी बात


31/3/2020  मो रिजवान 




नई दिल्ली: दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे बड़ा मामला सामने आया है। मरकज बिल्डिंग में मौजूद 24 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। यह जानकारी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने मंगलवार को दी। उन्होंने बताया कि सोमवार से अब तक 334 लोगों को अलग अलग अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। वहीं, 700 लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है।


वहीं इस जमात में शामिल होने वाले 7 लोगों की मौत हो गई है. जिसमें से 6 लोग तेलंगाना से है और 1 श्रीनगर से है. लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए बरती जा रही सतर्कता के बीच देश की राजधानी दिल्ली में ही इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई है।


इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होता इससे पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन ने ही आयोजकों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, घोर अपराध किया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि यहां से जाने वाले लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए केंद्र सरकार ने जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम को आइसोलेशन सेंटर बनाने से इनकार कर दिया है।


इसी बीच तबलीगी जमात जिसमें लोग शामिल होने आए थे, उनकी ओर से एक बयान जारी किया है. बयान में उन्होंने कहा अगर वह सारे तथ्य सही हैं तो यह सरकार और प्रशासन की ओर से बरती गई घोर लापरवाही है जिसने दिल्ली को इस भीषण बीमारी के बीच एक बड़े संकट में डाल दिया है।


 


जिस दिन जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ, उस दिन बहुत सारे लोग मरकज में थे. उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया. बाहर से किसी को नहीं आने दिया गया. जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा.


वही 21 मार्च से ही देश भर में रेल सेवाएं बन्द होने लगीं. इसलिए बाहर के लोगों को भेजना बहुत मुश्किल था. फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया. अब करीब 1000 लोग मरकज में बचे हुए थे।


जनता कर्फ्यू के साथ ही 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान हो गया. बस या निजी वाहन भी मिलने बंद हो गए. पूरे देश से आए लोगों को उनके घर भेजना बहुत मुश्किल हो गया क्योकि एक भी गाड़ी नहीं मिल रही थी।


लॉकडाउन को देखते हुए और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानते हुए लोगों को बाहर भेजना सही नहीं था. उनको मरकज में ही रखना बेहतर था. 24 मार्च को SHO निज़ामुद्दीन ने हमें नोटिस भेजकर धारा 144 का उल्लंघन का आरोप लगाया।


तो हमने इसका जवाब में कहा कि मरकज को बन्द कर दिया गया है. 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है. अब 1000 बच गए हैं जिनको भेजना मुश्किल है. हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी हैं।


इसके बाद हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा जिससे सभी लोगों को उनके घर पहुंचाया जा सके. हमें अभी तक को पास जारी नहीं किया गया. 25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल कि टीम आई और लोगों की जांच की गई।


26 मार्च को हमें SDM के ऑफिस में बुलाया गया और DM से भी मुलाकात हुई हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा. 27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब होने की वजह से मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया।


28 मार्च को SDM और WHO की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई, जिन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया.
28 मार्च को ACP लाजपत नगर के पास से नोटिस आया कि हम गाइडलाइंस और कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. इसका पूरा जवाब दूसरे ही दिन भेज दिया गया।


30 मार्च को अचानक ये खबर सोशल मीडिया में फैल गई की कोराना के मरीजों की मरकज में रखा गया है और टीम वहां रेड कर रही है. अब मुख्यमंत्री ने भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए. अगर उनको हकीकत मालूम होती तो वह ऐसा नहीं करते।


मरकज की और से लगातार पुलिस और अधिकारियों को जानकारी दी के हमारे यहां लोग रुके हुए हैं. वह लोग पहले से यहां आए हुए थे. उन्हें अचानक इस बीमारी की जानकारी मिली।


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