चीन ने गलवन वैली में तैनात किए टैंक-तोप, भारत ने भी उतारा चिनूक और यूएवी।

*चीन ने गलवन वैली में तैनात किए टैंक-तोप, भारत ने भी उतारा चिनूक और यूएवी*


 


29/05/2020 मो रिजवान 


 


पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना जंग की तैयारियों में जुटी नजर आ रही है।  एक तरफ जहां दिल्ली और बीजिंग में इस मसले के हल को लेकर राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है तो दूसरी और चीन ने गलवन घाटी के सामने एलएसी के किनारे तोप और टैंक तैनात किए हैं।



 


ऐसे में अब भारत की थल और वायुसेना भी मुस्तैद हो गई हैं। थल सेना ने गलवन घाटी और पैगांग त्सो इलाके में यूएवी (अनमैंड एरियल व्हीकल) तैनात कर दिए हैं।  वहीं, वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख में अपनी गतिविधियों को बढ़ाते हुए चिनूक हेलीकॉप्टर को अग्रिम इलाकों में उतारा है। लेह स्थित सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के अधीन सेना की 81 और 114 ब्रिगेड ने चीनी सेना से निपटने के लिए अपने जवानों और अधिकारियों को चौबीस घंटे ऑपरेशनल मोड में रहने के आदेश दिए हैं।


 


आला सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सैटेलाइट तस्वीरों के एक विस्तृत विश्लेषण में पता चला है कि चीन की तरफ से खींच कर ले जा सकने वाली तोपें और टैंकों की व्पापक तैनाती की गई है। सैटेलाइट तस्वीरों में कम से कम 16 टैंकों की मौजूदगी भी दिखाई देती है। इनमें पैदल सेना के साथ अन्य वाहन भी हैं।


 


सूत्रों ने कहा कि फ्लैटबेड ट्रकों, खोदने वाली मशीनों, डंपर ट्रकों की भी कल्पना की गई है। सूत्रों ने बताया कि बंकरों, जमीन पर सैनिकों और मशीन गन की स्थापना को भी देखा जा सकता है, जो यह भी दिखाता है कि चाईनीज आपत्तिजनक अनुमान लगा रहे हैं और रक्षात्मक स्थिति भी बना चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि उपयुक्त काउंटर तैनाती LAC के भारतीय पक्ष में भी की गई है ताकि चीन के किसी भी लाभ की स्थिति को बेअसर किया जा सके।


 


सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग त्सो, जहां चीनी और भारतीय सैनिक 5-6 मई को आए थे। भारतीय पक्ष फॉक्सहोल पॉइंट पर चीनी कब्जे के बारे में चिंतित है। यह फिंगर 3 और फिंगर 4 के बीच स्थित है, जिससे चीन को क्षेत्र में वर्चस्व का लाभ मिला है। जैसा कि द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पूर्वी लद्दाख के कुछ स्थानों पर: पैंगोंग त्सो क्षेत्र में और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन अलग-अलग स्थानों पर चीनी सेनाएं एलएसी को पार करके भारतीय क्षेत्र में चली गईं। LAC के बारे में दोनों पक्षों की धारणा पैंगोंग त्सो में अलग-अलग रही है, जिससे झील और उत्तरी तट पर तनाव और विवाद पैदा हुए हैं।


 


लेकिन हॉट स्प्रिंग्स  (गोगरा, पैट्रोलिंग प्वाइंट-14, पीपी-15) में जिन स्थानों पर चीनी घुसपैठ देखी गई, वो अब तक विवादित नहीं हैं और वो एलएसी से दो-तीन किलोमीटर आगे आ गए। भारतीय पक्ष भी एलएसी की तरफ से गलवन नदी के उलट, चीनी तैनाती पर रणनीतिक दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) सड़क पर खतरे के बारे में चिंतित है। 255 किलोमीटर लंबी सड़क पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा खोली गई थी, जिन्होंने इस क्षेत्र के उत्तर में श्योक नदी पर 1400 फीट के पुल का उद्घाटन किया था।


 


लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के कार्यकारी पार्षद (शिक्षा) कोंचोक स्टैनजिन ने कहा कि हालांकि यह कहना मुश्किल है कि पैंगोंग त्सो क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र के अंदर कितने चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की है, वे पैट्रोलिंग प्वाइंट 14-15 के अलावा फोर फिंगर और ग्रीन टॉप क्षेत्रों में भी डेरा डाले हुए हैं।


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