उत्तर प्रदेश कानपुर: पुलिस ने की जनता और पत्रकारों के साथ बर्बरता

देशभर में कोरोना वायरस के चलते काफी हलचल देखने को मिल रही है वही लोगों से गुजारिश की जा रही है कि वह अपने घरों में रहे और देश के प्रधानमंत्री भी निवेदन कर रहे हैं। 



इस सबके चलते पुलिस की बर्बरता भी देखने को मिल रही है उत्तर प्रदेश की पुलिस पहले भी अपनी बर्बरता को लेकर काफी सुर्खियों में रही है। और आज के समय में कोरोना वायरस (covid19) के चलते लोगों से अपील करने का एक नया तरीका पुलिस का देखने को मिला है जहां पर उत्तर प्रदेश में पुलिस लोगों के ऊपर लाठियां बरसाती नजर आई।


इस बार उत्तर प्रदेश की पुलिस पत्रकारों से भी बर्बरता करने में पीछे नहीं दिखी वह पत्रकारों की गाड़ियों का चालान व लाठियों से पीट से दिखाई दी। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की यह वारदात जो उजागर हो रही है जहां पर कवरेज कर रहे पत्रकार को पुलिस ने लाठी से पीटा और भद्दी भद्दी गालियां दी गई।



पुलिस जनता के रक्षक होते हैं परंतु उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में पुलिस जनता की भक्षक बनी दिखाई दी। करुणा की रोकथाम के लिए पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है जिसके चलते पुलिस के जवानों में खासा झुंझलाहट देखने को मिल रही है। और वही झुंझलाहट पुलिस पत्रकारों व शहर के नागरिकों पर लाठियों के द्वारा उतारती नजर आई। और गाली गलौज करने में भी पुलिस ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।


जनता मजबूरी में सड़क पर निकल रही है बिना लोगों से जाने कानपुर पुलिस सिर्फ लाठियां और गालियां बरसाती लोगों पर नजर आई। कुछ पिटते लोगों से हमने बात की तो पता चला एक युवक डॉक्टर के पास जा रहा था पर पुलिस ने डॉक्टर के पास जा रहे युवक को लाठी और गालियां देकर समझाया।



एक व्यक्ति वीरेंद्र कुमार जो अपनी बेटी को लेने एयरपोर्ट जा रहे थे।
 जिसकी गाड़ी का चालान कर पुलिस ने उस व्यक्ति को गालियां और डंडे दिए। वही एक पत्रकार जो रिपोर्टिंग कर रहा था पुलिस ने उसको गालियां दी जिसके बाद पत्रकार ने अपना परिचय पत्र निकाल कर पुलिस को दिखाया तत्पश्चात पुलिस ने लाठियां मारी और गाड़ी का चालान कर दिया। और खाकी में गुंडों की तरह यह भी कह दिया जो करना हो कर लेना।  



एक प्रेस के संपादक प्रमोद शर्मा ने बताया की रिपोर्टिंग करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है पुलिस की अभद्रता देखने को मिल रही है लाठी और गाली खाने को मिल रही है साथ ही एक समाचार पत्र का संवाददाता भी पुलिस का शिकार हुआ जिसको लाठियां पड़ी।


संवाददाता ने जब दरोगा से पूछा तो दरोगा ने बताया कि मेरा नाम शिवकुमार शर्मा है और मैं सिविल लाइन का चौकी इंचार्ज हूं और तुम्हें जिससे जो उखड़वाना हो वह उखड़वा लेना। कानपुर पुलिस की यह कार्य शैली देख कर कानपुर शहर की पोलिसिंग पर सवाल खड़ा होता है। उच्च पुलिस आधिकारी भी ऐसे पुलिस कर्मियों पर कोई कारवाही ना करके इनका मनोबल बढ़ाते हैं।


एक कहावत है सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का कानपुर पुलिस का यह रवैया देख कई प्रश्न कानपुर पुलिस पर खड़े होते हैं।


 


 


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