तेल के दाम इतने गिर गए हैं कि देश में अब 3-4 रु लीटर में बिकना चाहिए

तेल के दाम इतने गिर गए हैं कि देश में अब 3-4 रु लीटर में बिकना चाहिए, लेकिन लोग हिंदू-मुस्लिम में व्यस्त हैं


23/04/2020  मो रिजवान



इतिहास में पहली बार तेल की क़ीमत एक डॉलर से भी कम(99 सेंट्स) हो गयी है। यानि तेल बोतल बंद पानी से भी सस्ता हो गया है।


तेल बाजार में हाहाकार मचा हुआ है। अमेरिका और कनाडा में तेल उत्पादन बंद हो रहा है। ओपेक को भी कुएं बंद करने पड़ सकते हैं क्यों क‍ि कच्चे तेल के स्टोरेज की कमी पड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में जो रेट है उसके हिसाब से देश में 3-4 रू लीटर पेट्रोल-डीज़ल होना चाहिए लेकिन ऐसा सरकार करेगी नहीं। क्योंकि pro-people सरकार ही ऐसे निर्णय लेती है।


2013 में कथित 70 साल वाली सरकार में जब प्रति बैरल कच्चे तेल की क़ीमतें 125 डॉलर के आसपास थी तब हमारे यहाँ पेट्रोल की क़ीमत 76₹ और डीज़ल की 66₹ थी और आज 1 डॉलर प्रति बैरल से भी कम क़ीमत होने के बावजूद पेट्रोल 70₹ और डीज़ल 62₹ में बिक रहा है।



राष्ट्र्प्रेमी चुप है क्योंकि महँगा ख़रीदना शौक़ बन चुका है। लोग अपनी जेब नहीं देख दूसरों का धर्म खोजने में मस्त और व्यस्त है। आप इस साधारण गणित से ही सरकारों की प्राथमिकताओं का अन्तर समझ सकते है।


अभी हमारे पास तेल स्टोरेज क्षमता नही है अन्यथा भविष्य में बहुत अधिक फ़ायदा होता। चीन ने इस दिशा में बहुत पहले ही कार्य शुरू कर दिया था। चीन बड़े स्केल पर तेल का भंडारण कर रहा है। किसी भी आपदा और युद्ध जैसे हालात में यह बहुत ज़रूरी भी होता है। यह नेतृत्व की दूरदर्शिता को परिलक्षित करता है।


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