पीड़ित को लौटाकर उनकी आशाओं को तोड़ो मत

• थानों चोकियो से फरियादियों को लौटाने की आती है प्रायः शिकायते।


• लोकसेवा अधिकारियों को रहना चाहिए जनता संपर्क में।



नई दिल्ली
1984 के दंगों के दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में चर्चित बने रहे दिल्ली पुलिस के स्पेशल ब्रांच में एडिशनल कमिश्नर के पद पर कार्यरत आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन आज देशभर में किसी पहचान के मोहताज नहीं है।


उनकी गिनती आज दिल्ली के तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है। बिहार राज्य के छपरा सिवान के बसंतपुर के रहने वाले श्री राजीव रंजन पुलिस अधिकारी बनने से पूर्व किसी दबे कुचले परिवारों पर जुल्म होता देख उनके लिए कुछ ना कुछ करने की मन ही मन में ठान लेते। यही दृढ़ प्रतिज्ञा उनके आईपीएस बनने का कारण बनी वह आज भी किसी निर्बल पर अन्याय होता नहीं देख पाते। जिसमें वह जल्द से जल्द उन्हें न्याय दिलाने में जुट जाते हैं। जिससे गरीब व मध्यम तबका आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन को बहुत पसंद करता है।



अपने कार्यकाल के दौरान थानो, चौकियों के कामों में आमूलचूल परिवर्तन कर उन्होंने पुलिस की कार्यशैली बड़े सलीके से कर दी है। जिसमें माइनर कैसो की कीपिंग फाइल चर्चा में बनी। इस पिंक फाइल का रहस्योद्घाटन हम बाद में करेंगे। 


इन्हीं तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन से एंटी करप्शन के संपादक मोंटू राजा ने बातचीत की, पेश है बातचीत के प्रमुख अंश :-



प्र. पुलिस सेवा में कब आए?
उ. 1987 मैं दिल्ली अंडमान निकोबार आइलैंड पुलिस मैं भर्ती हुई जिसे (DANIP) कहा जाता है। यह पुलिस केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार में कार्य करती है।


प्र. पुलिस सेवा में आने की प्रेरणा कहां से मिली?
उ. बचपन से ही जो भी समाज में लोगों के साथ गलत होता देखता था तो सोचता था इसे कैसे ठीक कर न्याय दिलवाया जाए, फिल्मों में पुलिस का सकारात्मक रूप देखकर प्रेरणा मिली।


प्र. आईपीएस बनने तक का सफर कैसा रहा?
उ. 1987 (DANIP) पुलिस में भर्ती हुई जिसके बाद 1989 में रेलवे ट्रैफिक सर्विसेज में सिलेक्शन हुआ जोकि एक उच्च श्रेणी की नौकरी थी, लेकिन यह नौकरी मुझे मेरी मानसिक विचारधारा के अनुरूप नहीं लगी। इस कारण मैंने 2 साल बाद रेलवे से नौकरी छोड़ दी। दोबारा पुलिस में आ गया 2002 में आईपीएल में सिलेक्शन हुआ।


प्र. अभी तक कहां कहां पोस्टिंग रही?
उ. दिल्ली में ट्रांस जमुना सब डिवीजन में कार्यरत रहा, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच, स्पेशल रिपोर्ट सेल, एसआईटी (स्पेशल टास्क फोर्स) भू माफिया, वीवीआइपी सिक्योरिटी (श्री आरके नारायण) राष्ट्रपति सिक्योरिटी में भी रहा। इसके अलावा दिल्ली के अलग-अलग जिलों में कार्यरत रहा नई दिल्ली केंद्रीय स्पेशल सेल, पीसीआर आदि में भी तैनाती रही, इसके बाद पांडिचेरी एसएसपी लॉयन ऑर्डर बनकर ट्रांसफर हुआ जिसके बाद डीआईजी रेंज भी बना और 2017 में वापस दिल्ली आया और एडिशनल कमिश्नर (डीआईजी) दिल्ली क्राइम ब्रांच सवा साल बाद एडिशनल कमिश्नर दिल्ली पुलिस स्पेशल ब्रांच में कार्यरत हूं।


प्र. सर्विस के दौरान ऐसी कोई घटना बताइए जिसमें तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उ. नहीं, अपनी अभी तक की सर्विस में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। कमिश्नरी सिस्टम होने की वजह से काम करने में स्वतंत्रता है और आज तक काम में किसी भी पॉलिटिकल या ब्यूरोक्रेसी से किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं हुआ और ना ही काम में कोई हस्तक्षेप कर सकता है।


प्र. इस पोस्ट में पोस्ट में पुलिस के लिए कुछ खास कार्य?
उ. सम्मान और वारंट के लिए टीम गठित की। पहले थानों में ही सम्मन और वारंट का काम होता था। थानों में पहले से ही इतना काम होता था जिसके चलते सम्मान और वारंट का काम ठीक ढंग से नहीं हो पाता था डिले होता था जिसके चलते मैंने एक टीम का गठन किया उस टीम का काम सम्मान और वारंट का ही होता है। जिससे लोगों को फायदा हुआ और अब हर क्षेत्र में सम्मन वारंट के लिए अलग-अलग टीमें हैं।


प्र. दिल्ली में किस तरह के अपराध दादा दर्ज होते हैं?
उ. दिल्ली में गुमशुदगी की शिकायतें भी अधिकतर दर्ज की जाती हैं जिसके साथ साथ अन्य माइनर केसों के त्वरित निर्वाण के लिए पिंक कलर की फाइल बनवाई। एक समय में पुलिस दफ्तर में फाइल प्रिंट होकर नहीं आ पाई थी, जिसके चलते बाजार से फाइलें खरीदी गई जिसका रंग पिंक कलर का था। और उन फाइलों में माइनर गुमशुदगी बच्चा वा महिला की डिटेल लिखी जाती थी। जो आज के समय में पुलिस महकमे में टिंग फाइल के नाम से जानी जाती है।


प्र. आपके कार्यकाल की विशेष उपलब्धि?
उ. 1984 के सिख दंगों में दोषी पाए गए एक समय के राजनेताओं की कोर्ट से आर्डर लेकर गिरफ्तारी की।


प्र. दिल्ली की जनता के लिए विशेष संदेश जो इस समाचार पत्र  के माध्यम से देना चाहेंगे?
उ. वैसे तो दिल्ली की जनता शिक्षित होने के साथ-साथ स्मार्ट भी है जिसके चलते उन्हें सारे कानून और नियम भलीभांति मालूम है। फिर भी अक्सर जनता को शिकायतें रहती हैं, की थानों में उनके शिकायतें दर्ज नहीं की जाती हैं। पुलिस पीड़ित की बात सुनने के बजाय टालमटोल का रवैया रहता है। लिहाजा मैं पुलिस साथियों से अपील करता हूं जनता की समस्याओं का त्वरित निवारण करें। क्योंकि हमारे पास आने वाले हर फरियादी को वर्दी धारकों से बड़ी आशाएं हैं, उनके विश्वास को तोड़े नहीं। इसके साथ ही दिल्ली व देशवासियों को सतर्क व सावधान रहना चाहिए और हर समय पुलिस की सहायता भी करनी चाहिए जनता का सहयोग पुलिस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दिल्ली की जनता को पुलिस से काफी आशाएं हैं क्योंकि पुलिस पहले भी जनता की आशाओं पर खरी उतरी है जिसके चलते यह आशाएं जनता की और बड़ी हैं और पुलिस की पूरी कोशिश रहती है की जनता की आशाओं पर खरा उतरें।


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