22 मार्च 2020 हिंदुस्तान में जनता कर्फ्यू का ऐलान। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से अपील की थी की करोना वायरस के प्रकोप के चलते समस्त भारत में जनता कर्फ्यू सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से यह अपील की थी और घरों में रहने का निवेदन किया था।
जनता कर्फ्यू का समर्थन करते हुए शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी भी दिखे। 3 महीने से ज्यादा सीएए के विरोध प्रदर्शन में शाहीन बाग में स्थित प्रदर्शनकारियों ने जनता कर्फ्यू का पालन करते हुए रात 9:00 बजे तक किसी तरह की कोई भी भीड़ प्रदर्शन में एकत्रित नहीं की। शाहीन बाग सीएए विरोध प्रदर्शन में केवल 5 महिलाएं उपस्थित दिखी।
उपस्थित महिला प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वह स्वास्थ्य को लेकर और कोरोना वायरस जिसे #covid19 भी कहा जाता है, इससे बचने के लिए सभी महिलाएं मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग कर रही हैं। वाह प्रदर्शन में ज्यादा भीड़ इकट्ठी नहीं कर रही हैं महिलाओं ने बताया कि प्रदर्शन में कुछ कुछ दूरी पर उन्होंने तखत डालकर उसी पर ही बैठी हैं। और जनता कर्फ्यू के चलते केवल 5 महिलाएं ही धरना प्रदर्शन पर बैठी हैं बाकी जगहों पर महिलाओं की चप्पलें और नो सीएए, एनआरसी और एनपीआर लिखी शीट दिखीं। महिलाओं का कहना है कि यह उन औरतों की मौजूदगी बयान करने के लिए है जो समर्थन में बैठी हैं।
आज ही सुबह 9:15 पर शाहीन बाग प्रोटेस्ट से थोड़ी सी दूर पुलिस बैरी गेटिंग के पास पेट्रोल बम फेंका गया था व एसिड की बोतलें कांच की बोतल को पुलिस ने बरामद किया, वही जामिया में गोली भी चलाई गई थी जिसके बाद पुलिस ने गोली का खाली कारतूस बरामद किया जानकारी के मुताबिक सुबह 9:15 पर दो संदिग्ध व्यक्तियों ने पेट्रोल बम से हमला किया और फरार हो गए।
प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने सरकार के ऊपर सवाल भी उठाया व पुलिस की मुस्तैदी पर भी सवाल किया, कि पुलिस मौजूदगी के बावजूद दो संदिग्ध व्यक्ति मोटरसाइकिल पर आए उन्होंने पेट्रोल बम फेंका और वह चले गए जबकि आज सुबह 7:00 बजे से जनता कर्फ्यू था बावजूद इसके यह घटना घटित हुई। महिलाओं ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री देश की महिलाओं को सुरक्षा देने में असमर्थ हैं।
प्रदर्शन में मौजूद महिलाओं ने यहां तक कह दिया कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी करोना वायरस से भी घातक साबित हो रहे हैं। कोरोना वायरस से भी मरना होगा और डिटेंशन कैंप में भी मरना होगा। महिलाओं ने कहा डिटेंशन कैंप में मरने से अच्छा है कोरोना वायरस से मर जाएं।
महिलाओं ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं से शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को डराने की कोशिश की जा रही है। परंतु हम डरने वाले नहीं हैं। पहले भी शाहीन बाग के पास व जामिया नगर में गोलियां चलाई गई थी हम पहले भी नहीं डरे और हम अब भी नहीं डरेंगे और इस काले कानून का विरोध करते रहेंगे। एक महिला ने यह भी कहा की शाहीन बाग के तर्ज पर दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र जाफराबाद मौजपुर में दंगे भी भड़काए गए थे परंतु जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा तब तक हम प्रदर्शन जारी रखेंगे।