वक्फ संशोधन बिल संविधान की भावना के खिलाफ: सांसद सैयद नसीर हुसैन

वक्फ बिल के जरिए बीजेपी की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण


विधेयक में विपक्षी सदस्यों की कोई सिफारिश शामिल नहीं


नई दिल्ली, 


वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हो गया। विपक्षी दल के कड़े विरोध के बावजूद विधेयक के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े। 



सदन में विधेयक के खिलाफ बोलते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और जेपीसी सदस्य रहे डॉ.सैयद नसीर हुसैन ने वक्फ विधेयक को भाजपा का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि जेपीसी ने ये संशोधन सुझाये हैं, लेकिन यह केवल जेपीसी के एनडीए सांसदों का विचार है, अन्य दल के सभी लोगों और उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया गया।


उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि 1995 और 2013 के विधेयक किसी को खुश करने के लिए लाए गए थे और सख्त थे, तो भाजपा उसका समर्थन क्यों करी थी? भाजपा के लोग पूरे देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा ने 2013 में इस विधेयक का समर्थन किया था, जिसके बाद 2014 में एनडीए सत्ता में आई। और 10 साल तक सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने कभी इस बारे में बात नहीं की। लेकिन 2024 में बिल फिर से याद आ गया, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिली। इसलिए भाजपा चाहती है कि ऐसे मुद्दे चलते रहें, देश बंटता रहे और जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटका रहे। 


भाजपा की हिन्दू-मुस्लिम राजनीति जारी रह सके। जो संशोधन लाए गए हैं वे संविधान की भावना के विरुद्ध हैं। यह अनुच्छेद 14, 25, 26, 30 का उल्लंघन है। यह कानून के समक्ष समानता की अवधारणा के खिलाफ है। यह विभिन्न वर्गों के लिए कानून में समानता के विरुद्ध है। और भाजपा एक राष्ट्र, एक कानून, यूसीसी के बारे में जो भी कहती है, वह उसके भी खिलाफ है। पिछले कुछ दिनों से लगातार वक्फ एक्ट और बोर्ड के बारे में गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं और गोदी मीडिया इसका पूरा समर्थन कर रहा है और भाजपा का आईटी सेल भय फैला रहा है। वक्फ क्या है? इसका अर्थ क्या है? वक्फ का मतलब है दान। अल्लाह के नाम पर, अल्लाह के लिए।

छोटे बटे ने करी कोर्ट मैरेज! पुलिस द्वारा बड़े बेट की पिटाई और पिता से पैसों की उगाही।

 कानपुर

सविधान और कानून ने अधिकार दिए हैं पर आज भी कुछ घटनाएं ऐसी होती है जिसके बाद कई सवाल खड़े होते हैं। उत्तरप्रदेश कानपुर शहर के अचलगंज थाने से संबंधित एक मामला ऐसा आया है जिसमें पीड़ित के पिता और माता ने बताया कि उनके बटे ने न्यायालय और आर्य समाज से शादी कर ली है पर लड़की के भाई ने जान से मारने की धमकी दी है और पुलिस के साथ मिलकर बड़े बेटे की पिटाई करी और पुलिस ने करी पिता से पैसे की मांग।




पत्नी को लेके फरार हुए युवक के पिता राम चंद्र ने बताया पुलिस ने बहुत परेशान किया है वह एक हृदय रोगी भी है, पुलिस का कहना है लड़के को बरामद करवाओ। इसी क्रम में लड़की के भाई पर आरोप है कि फरार लड़के के बड़े भाई को पीटा गया। 3 दिन फरार लड़के के बड़े भाई को हिरासत में रखा। लड़की के भाई का साफ कहना है यदि बहन और लड़का दिखा तो गोली मार दूंगा।




वैसे आपको बता दें कि लड़कों की उम्र 24 वर्ष  है। 6 माह पहले हुई थी शादी। फरार रोहित की माता, माया देवी कहती है लड़की के भाई ने गोली मारने की बात कही है पुलिस साथ नहीं दे रही जिसके डर से हम दर ब दर हो गए हैं। अब देखने वाली बात यह है कि संविधान और कानून होते हुए भी पति पत्नी को फरार होना पड़ रहा है।

दशकों बीत जाने पर भी शौचालय नहीं। जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान

 कानपुर 


यूं तो हमारा देश बहुत तरक्की कर रहा है पर हैरत होती है यह देख कर या जान कर की 1984 से अब तक उत्तरप्रदेश कानपुर के हर्ष नगर संतलाल हाते में सीवर कि सुविधा नहीं है जनता शौचालय के लिए परेशान है। 



जी हां कानपुर नगर निगम में हंगामा करने आए लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि सन 1984 से आज तक जनता के घरों के लिए सीवर लाइन नहीं है। 


राम नारायण ने जानकारी देते हुए बताया सीवर सुविधा उपलब्धता को लेकर हमने डीएम, सीएम, पीएम व अन्य कई अधिकारियों को प्राथना पत्र दिए पर आज तक केवल आश्वाशन ही मिल पाया है। जबकि उत्तरप्रदेश में डबल इंजन कि सरकार है। 



वहीं प्रदर्शन में आए हिमांशु कहते हैं लोग परेशान है पीने का पानी तक नहीं है, बीजेपी का पार्षद है बीजेपी की ही मेयर है फिर भी कोई राहत नहीं। इस क्षेत्र में कोई लड़की शादी करना नहीं चाहती क्यों कि यह शौचालय की दिक्कत है। 


वहीं महिलाओं ने कहा टैक्स मांगा जा रहा है। यह मलीन बस्ती तो घोषित हो गई है पर अभी तक मालिकाना अधिकार नहीं है। एक वृद्ध महिला बताती है वह बहु बन कर आई थी अब वह सास बन गई हैं। तीसरी पीढ़ी चल रही है पर शौचायल नहीं है। 



कुली परेशान, कारोबार ठप आधुनिकता बनी दुश्मन

 कानपुर 


जब बात रेल की होती है तो एक नाम आता है कुली। इनपर फिल्म भी बनी और संस्थाएं भी पर आधुनिकता के चाहते इन कुलियों का कुछ नहीं हुआ।




कानपुर सट्रल पर कार्य कर रहे कुलियों ने बताया हमारी संस्था है पर स्टेशन पर प्लेटफॉर्म पर लिफ्ट , एस्केलेटर और बागों में पहिए, कुली के पतन का मुख्य कारण है। कुलियों ने जानकारी देते हुए बताया उनकी मुख्य मांग है ग्रुप डी की नौकरी मिल जाए जिससे कुलियों के रोजगार का पतन न हो। 


अन्य कुलियों ने जानकारी देते हुए बताया कि बिल्ले का ट्रांसफर भी एक मुख्य कारण है, बिल्ले ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं। सरकारी नौकरी के बाद कुलियों को मेडिकल सुविधाएं भी मिल जाएगी जिसका अभी अभाव है। 



कई अधिकारियों को अपनी समस्या बताने के बाद भी सरकार की तरफ से केवल आश्वाशन ही मिला है।





लखनऊ में मौजूद बड़ा इमामबाड़ा जो पर्यटक स्थल भी है!

 लखनऊ 


वैसे तो पर्यटकों के लिए देश में बहुत सारे स्थल है जहां वह जाते हैं अगर बात करी जाए उत्तरप्रदेश की तो आगरा के बाद दूसरा स्थान आता है लखनऊ और लखनऊ में जो मौजूद ऐतिहासिक स्थल है वह इसका मुख्य कारण है।



लखनऊ में मौजूद बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा लोगों का बहुत लोकप्रिय है। यह जगह सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। बड़े इमामबाड़े कि छत के ऊपर भूल भुलैया बनी है जिसे पर्यटक देखना बहुत पसंद करते है।



पर वैसे वह इंजीनियर का एक डिजाइन है जिसने बड़े इमामबाड़े कि छत रोक के राखी है। बिना भीम के इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह एक ब्रिज के रूप में लगती है। लियाकत हुसैन इसके इंजीनियर रहे, इसे आसफ उद दौला ने बनवाया था, दरअसल इसके पास एक सुंदर मस्जिद भी बनी है क्योंकि आसफ उद दौला को इमाम हुसैन से बहुत प्यार था जिसके चलते उन्होंने बड़ा इमामबाड़ा बनवाया था। और मस्जिद बनवाने से पहले पहली ईट के लिए कई उलेमाओं को बुलवाया गया था और कहा गया था जिसकी आज तक फज्र की नमाज़ नहीं छोटी वह ईट रखे तो मस्जिद की ईट आसफ उद दौला ने राखी थी। 


आसफ उद दौला के लिए कहा जाता है जिसे ना दे मौला उसे दे आसफ उद दौला इसके पीछे की भी एक कहानी है जब अवध में सूखा पड़ गया था तब आसफ उद दौला ने निर्माण चालू करवाया था और मजदूरी का काम करवाया था लोगो के आत्मसम्मान को ठेस न लगे तो मजदूरी करवा कर उन्हें पैसा दिया जाता था जिन्हें इमारत बनानी नहीं आती थी उनसे इमारत तुड़वाई जाती थी ताकि उनकी भी मदद की जा सके। उसके बाद से ये कहा जाने लगा जिसे न दे मौला उसे दे आसफ उद दौला। 



इन ऐतिहासकि इमारतों को देखने के लिए न की केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। रूमी गेट भी अहम धरोहर है, अवध की पहचान है। आगरा के बाद उत्तर प्रदेश में लखनऊ ही है जहां पर्यटक आता है। बड़े इमामबाड़े में कुछ चीजें नायाब है। वहीं बारी गांव भी है जिसे संरक्षण की जरूरत है शासन प्रशासन को इन धरोहर को बचाने और संजो कर रखने के लिए अहम कदम उठाने चाहिए।



खेत बेचा पर पूरी रकम नहीं हुई प्राप्त! पैसा मांगने पर पति को बना लिया बंधक?

 कानपुर 


आज के समय में भी कुछ ऐसी गतिविधियां होती है जो सोचने पर मजबूर कर देती है कि आप कितने सुरक्षित है और कहा आपकी सुनवाई होगी? 



दरअसल घटना थाना क्षेत्र साढ़, गांव भीतर की है। पीड़ित महिला मीरा बताती है उन्होंने अपना एक खेत राजबहादुर उर्फ छंगा को 10 लाख रुपए में बेचा पर छंगे ने केवल 6 लाख रुपए ही दिए बकाया 4 लाख रुपए नहीं दिए। जिसके बाद पीड़िता और उसके पति राजकुमार ने उस जमीन पर आपत्ति लगा दी। इसपर छंगे को गुस्सा आया और पीड़िता के पति राजकुमार को अपने घर में बंधक बना लिया इस तरह के तमाम आरोप पीड़िता ने लगाए हैं। 



इस घटना को लेकर पीड़िता योगी आदित्यनाथ और जिला कप्तान साथ ही कानपुर पुलिस आयुक्त के दफ्तर पहुंची महिला का कहना है केवल आश्वाशन मिला रहा है अगर पुलिस साथ दे तो अपने पति को बरामद कर सकती हु। अब कहा जाऊ किस्से काहू कुछ नहीं पता। 



दिल्ली नगर निगम बजट सत्र में नेता विपक्ष कांग्रेस दल द्वारा आम आदमी पार्टी और भाजपा पर वार।

दिल्ली


दिल्ली नगर निगम के बजट सत्र में नेता विपक्ष कांग्रेस दल नाज़िया दानिश ने बजट अनुमान 2025 - 2026 में अपनी बात रखते हुए भाजपा और आम आदमी पार्टी को जमकर रेला। 



चाहे 8 फरवरी 2024 को आम आदमी पार्टी के नेता सदन के अभिभाषण की बैठक तक को भाजपा पार्षदों ने हंगामे की भेट चढ़ा दिया। और वही नज़ारा द्वितीय वर्ष बजट प्रस्तुत करते समय नेता विपक्ष के अभिभाषण के समय दिखा। पर इस तरह का आचरण सदन में शोभा नहीं देता व सदन के नियमों का भी उल्लंघन है। 


नाजिया दानिश ने अपने अभिभाषण में कहा हम सभी को बखूबी मालूम है कि निगम के एकीकरण के बाद से निगम सदन की प्रत्येक बैठक मजाक बन गई है, स्वयं पार्षदों, अधिकारियों, मीडिया व जनता के बीच हमेशा एक अस्मंजस बना रहता है कि क्या आज सदन चलेगा? 


निगम के पहले वर्ष महापौर व उप-महापौर का चुनाव हो, आम आदमी पार्टी द्वारा गणतन्त्र दिवस के अवसर पर भव्य लंच हो, वर्ष 2023-24 बजट अनुमानों की बजट विशेष सभा में नेता-सदन के बजट अभिभाषण पर हंगामा, महिला पार्षदों पर भद्दी टिप्पणियां, वार्ड समितियों का चुनाव, पार्षदों का दल बदलना, दिल्ली नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर की अध्यक्षता में स्थायी समिति का चुनाव होना, जिसमें सत्ता पक्ष द्वारा माननीय एल.जी. के ओदशों का विरोध करते हुए चुनाव का बहिष्कार करना, प्रदूषण, आम आदमी पार्टी की डबल इंजन की सरकार रहते एम.सी.डी. व पी.डब्ल्यू.डी. नालों की सफाई का न होना, यमुना की सफाई, बाढ़ विशेषतः छठ पूजा के लिये घाटो की सफाई ना होना शामिल है। 


डबल इंजन सरकार ने बंद की निगम की 11 स्कीमें

नाज़िया दानिश ने दिल्ली नगर निगम की 11 स्कीमें बंद करने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना था कि सरकार ने वर्ष 2019-20 के दौरान 202.40 करोड रुपये देकर शहरीकृत गांव, अनाधिकृत कॉलोनियों, पुनर्वास कॉलोनियों, बागवानी एवं पार्क, सामुदायिक भवन, धोबी घाट, नरेला नजफगढ़, महरौली टाउनशिप योजनाओं को बंद कर दिया है। 


इसी तरह से ट्रांसपोर्ट सेक्टर में 110 करोड़ रुपये की योजनाओं के बंद से दिल्ली को नुकसान उठाना पडा। स्वास्थ्य योजना में डबल इंजन सरकार ने बेहद कम राशि जारी की है। इसी तरह से गैर योजना मद एजुकेशन में 1400 करोड़ की ग्रांट नहीं दी गई। पुनर्वास कॉलोनियों के रखरखाव के लिए केजरीवाल सरकार ने राशि जारी नहीं की।




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