वकील की पिटाई कर बोली एमपी पुलिस – ‘गलती से हमें लगा था कि आप मुस्लिम है’

वकील की पिटाई कर बोली एमपी पुलिस – ‘गलती से हमें लगा था कि आप मुस्लिम है’


 


21/05/2020  मो रिजवान 


 


 


मध्य प्रदेश के बैतूल में मुस्लिमों के खिलाफ पुलिस की नफरत का एक स्पष्ट मामला सामने आया है। जिसमे पुलिस की मनमानी एवं अत्याचार साफ नजर आ रहा है।


द वायर की रिपोर्ट एक अनुसार, 23 मार्च को दीपक बुंदेले नाम के एक वकील को राज्य की पुलिस ने बेरहमी से पी’टा था। जब वह इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जा रहे थे। इस घटना के एक महीने बाद पुलिस अब दीपक पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव बना रही है। अपने बचाव में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने गलती से दीपक को मुस्लिम समझ कर पीट दिया था।



द वायर के साथ बातचीत में बुंदेले ने कहा कि 23 मार्च को शाम 5.30 से 6 बजे के बीच जब वह अस्पताल जा रहे थे तब पुलिस ने उन्हें रोका था। उन्होंने कहा, ‘तब देशव्यापी लॉकडाउन लागू नहीं हुआ था, लेकिन बैतूल में धारा 144 लागू कर दी गई थी। मैं पिछले 15 वर्षों से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का मरीज हूं। चूंकि मैं ठीक महसूस नहीं कर रहा था, तो मैंने सोचा कि अस्पताल जाकर कुछ दवाइयां ले लूं। लेकिन मुझे पुलिस ने बीच में ही रोक लिया।’


 


बुंदेले ने पुलिस को समझाने की कोशिश की कि उन्हें ये दवाइयां लेनी बहुत जरूरी हैं लेकिन उनकी बात को सुने बिना एक पुलिस वाले ने उन्हें थप्पड़ मारा।  बुंदेले ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि उन्हें संवैधानिक सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए और यदि पुलिस को सही लगता है तो वे धारा 188 के तहत हिरासत में लिए जाने को तैयार हैं। यह सुनकर पुलिसकर्मियों ने अपना आपा खो दिया, और मुझे एवं भारतीय संविधान को गाली देने लगे। कुछ ही समय में कई पुलिसवाले आ गए और मुझे लाठी से पीटना शुरू कर दिया।’


 


जब उन्होंने बताया कि वे वकील हैं, उसके बाद पुलिस ने उन्हें पीटना बंद किया। बुंदेले ने आरोप लगाया, ‘लेकिन तब तक मेरे कान से काफी खून बहने लगा था।’ उन्होंने अपने दोस्त और भाई को बुलाया और बाद में वे अस्पताल गए। वहां पर उन्होंने अपनी मेडिको लीगल केस (एमएलसी) बनवाया। 


इसके बाद 24 मार्च को उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक डीएस भदौरिया और राज्य के पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी के पास शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने मुख्यमंत्री, राज्य के मानवाधिकार आयोग, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और शीर्ष सरकारी अधिकारियों को भी इस शिकायत की प्रतिलिपि भेजी है। 


बुंदेले ने यह भी कहा कि उन्होंने 23 मार्च की घटना का सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करने के लिए एक आरटीआई आवेदन दायर किया था, लेकिन जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। वकील ने कहा, ‘मुझे यह कहते हुए जवाब मिला कि मैंने स्पष्ट रूप से वह कारण नहीं बताया है जिसके लिए मैंने आरटीआई आवेदन दायर किया था। लेकिन मुझे अनौपचारिक रूप से पता चला है कि सरकारी फाइलों से सीसीटीवी फुटेज को हटा दिया गया है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि तब से पुलिस शिकायत वापस लेने के लिए बहुत कोशिश कर रही है। 


 


उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले कुछ शीर्ष अधिकारियों ने मुझसे कहा कि अगर मैं अपनी शिकायत वापस ले लेता हूं तो वे इस घटना की निंदा और माफी मांग सकते हैं। बाद में कुछ लोगों ने कहा कि अगर मैं चाहता हूं कि मेरा भाई शांति से लॉ की प्रैक्टिस कर पाए तो मुझे अपनी शिकायत वापस ले लेनी चाहिए।’ हालांकि वकील दीपक बुंदेले पीछे नहीं हटे।


24 मार्च को दायर अपनी शिकायत में उन्होंने मांग की है कि मामले में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। इस आधार पर 17 मई को कुछ पुलिस वाले उनके घर पर उनका बयान दर्ज करने आए। इसी समय पुलिस ने उनसे कहा कि उनकी पहचान करने में गलती हो गई, पुलिसवालों को लगा कि वे मुस्लिम हैं। बुंदेले ने कहा, ‘वैसे तो मेरा बयान लेने में पांच मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए था लेकिन यह काम करने में करीब तीन घंटे बीत गए क्योंकि पुलिसवाले लगातार कोशिश करते रहें कि मैं अपनी शिकायत वापस ले लूं।’


बुंदेले द्वारा द वायर  के साथ साझा की गई एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के मुताबिक कथित तौर पर पुलिसवाले कह रहे हैं कि उनकी पिटाई गलती से हो गई क्योंकि उन्हें लगा कि वे मुस्लिम हैं क्योंकि उनकी बड़ी दाढ़ी थी। इसके आगे उन्होंने कहा कि दंगों के समय आमतौर पर पुलिस हिंदुओं का समर्थन करती है। कथित तौर पर पुलिसवाले को ये कहते हुए सुना जा सकता है, ‘हम उन पुलिसकर्मियों की ओर से माफी मांगते हैं। इस घटना के कारण हम वास्तव में शर्मिंदा हैं। यदि आप चाहें तो माफी मांगने के लिए मैं उन अधिकारियों को ला सकता हूं।’


बुंदेले ने कहा कि उन्होंने भोपाल में करीब 10 साल तक बतौर पत्रकार काम किया है और लॉ की प्रैक्टिस करने के लिए साल 2017 में वे बैतूल आ गए। उन्होंने कहा कि वे अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगे। हालांकि अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा, ‘वैसे तो पुलिस ने मुझसे माफी मांग ली है। यदि मैं मुसलमान होता भी, तो पुलिस को किसने इजाजत दी है कि बिना किसी कारण के वे प्रताड़ित करें।’


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